*मध्य पाषाण काल *

 



भारतीय प्रागैतिहासिक से पहले दो कालो की जानकारी थी पूरा पाषाण काल व नव पाषाण काल और वहा से कुछ छोटे-छोटे उपकरण प्राप्त हुआ |जिन्हें शुक्ष्म औजार  कहा गया ,  क्योकि  इनकी  लम्बाई 1-8सेमी के बिच थी | ये औजार त्रिभाजा , आयता , समलम्ब चतुर्भुज आकार के औजार की प्रमुखता थी | और इस काल में हड्डी के बने औजार भरी मात्रा में प्राप्त होने लगे | मानव खाद्य संग्राहक एवम आखेटक अवस्था से होता हुआ पशु पालन की अवस्था मिहो गया जो  निम्न्लोखित विशेषता है -

·         मह्दहा (प्रताप गढ़ ):-

प्रताप गढ़ में स्थित महदहा से हमें हड्डियों के बने आभूषण , मृग श्रिंग के छल्लो की माला एवंम स्तम्भ गर्त   के प्रमाण मिलते है |


·         चौपानी मांडव (ईलाहाबाद ):-

ईलाहाबाद के पास बेलम घाटी में स्थित एक महत्वपूर्ण स्थल जहा से जंगली चावल के प्रमाण मिले है यहाँ पर प्रागैतिहासिक काल के तीनो कालो के प्रमाण मीलते है |


·         विरभानूपुर (प०  बंगाल ):-

पश्चिम बंगाल के वर्मान जिले में स्थित मध्यपाषण  काल का एक महत्वपूर्ण स्थल है , जहा से झोपड़ियो के प्रमाण मिले है |

·         आदमगढ़ (M. P. ):-


M. P. के हेसांगा बाद जिले में स्थित आदम गढ़ से पशु पालन , गुफाओ के प्रमाण मिले है


·         बिंध क्षेत्र (मिर्जापुर ):-

बिंध से हमें बघाई खेर से - लेखइया से हमें गुफा , नरकंकाल  के प्रमाण मिले है |

 

 

 

 

 

 

 

 

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