भारत शासन अधिनियम 1858 से भारतीय संविधान भरत की ऐतिहासिक भूमि तैयार होती है | एसा इस लिए की इसके
द्वारा
1858 का भारत का शासन
पहले भारत में इस्ट इंडिया कंपनी का शासन था | ईस्ट इंडिया कंपनी एक बैधानिक संस्था नहीं थी , इसके द्वारा कंपनी का शासन बंद कर दिया गया और भारतीय जनता पर अप्रतक्ष्य नियंत्रण पारित हो गया | क्योकि संसद द्वारा बनया गया कानून मान्य है | संसद एक बैधानिक संस्था है इसकी निम्न विशेषता है
1. 1773 ई. में स्थापित कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर 1784ई. में स्थापित बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल को समाप्त कर दिया गया | उसके स्थान पर सिकरेटरी ऑफ़ द इण्डिया (सचिव ) की नियुक्ति किया गया है
2. भारत सचिव की सहायता के लिए 15 सदस्यों का गठन करता है इन्डियन काउन्सिल या भारतीय परिषद का गठन किया गया | जिसमे 8 सदस्यों का गठन सम्राट तथा 7 सदस्यों का गठन की नियुक्ति ब्रिटेन में स्थित निदेशक बोर्ड करता है | भारत सचिव ब्रिटिस संसद का सदस्य था | और वही बैठता था , और जब कोई भारत के बारे पूछता तो उसका उत्तर वही पर भारत का सचिव उत्तर देता था |
3.
इस एक्ट के द्वारा गवर्नर
जनरल का पद समाप्त कर दिया गया और उसका नाम बदल कर वायसराय रखा जाता है
NOTE :- भारत के तत्कालीन वायसराय-लार्ड कैनिंग ने
1 नवम्बर 1858ई. को महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र को पढ़ कर सुनाया जो निम्नलिखित
है –
a) भारत से कंपनी का शासन ख़त्म हो गया और भारत के जनता पर सम्राट का प्रतक्ष शासन
हो गया |
b) देशी रियासतों के शासको के साथ सरकार समक्षता का सम्बन्ध रखेगी उनके धार्मिक
मामले में कोई हस्ताक्षेप नहीं करेगी |
भारत में विधि शासन का सुरुआत इसी एक्ट में हुई अर्थात भारत में लोक तंत्र का नीव पड़ी |
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