*प्राचीन इतिहास *



इतिहास का परिभाषा :- अतीथ को जानते हुए , वर्तमान को पहचानते हुए ,भविष्य को सवारना ही इतिहास है | (S.K. panday)

इतिहास दो सब्दो से मिल कर बना है -

इति +हास = इतिहास , इति का शाब्दिक अर्थ है पुराना और हास का शाब्दिक कहानी

अर्थात पुराणी कहानी है ,

नोट :- इसे तीन भागो में बाटा गया है

1)प्रागैतिहासिक काल

2)अध्येतिहासिक काल

3)ऐतिहासिक काल

 

1)प्रागैतिहासिक काल :-

यह दो शब्दो से मिल कर बना है प्राक्+इतिहास इसका अर्थ है पहले की अवस्था इस काल में मानव को पढ़ने लिखने का ज्ञान नहीं था | इस काल का मानव मुख्यतः पत्थर के औजारों का प्रयोग करता था , अतः इस काल को पाषाण काल कहा गया है | भारतीय भारतीय प्रागैतिहासिक "काल  के जनक राबर्ट" क्रूस फिट है | जिन्होंने 1863. में तमिल के पलवरम  में कुछ पाषाण उपकरण प्राप्त किया जिसमे 'हैण्ड एक्स' प्रमुख इसी लिए दक्षिण भारत पूरापाषाण कालीन संस्कृत को 'हैण्ड एक्स' संस्कृत कहते है |इसे तीन भागो में बाटा गया है |

 

a) पूरापाषाण काल

b)मध्य पाषाण काल

c)नव पाषाण काल

 

 

a) पूरापाषाण काल :-

इस काल में  मानव जीवन का जीवन अस्थाई था | वह घुमंतू यैयावारी अवस्था में था , वह आखेटक एवम खाद्य संग्राहक अवस्था में था | उसे अग्नि की जानकारी हो गयी थी , लेकिन उसका प्रयोग नही जनता था | उसे गुफाओं की जानकारी हो गयी थी मध्यप्रदेश के भीमबेटका से हमें गुफाओं के प्रमाण मिलते  है | इससे मानव के द्वारा लाल, नीले , हरे  रंग का प्रयोग करके गैंडा , भैसा , हिरन एवं बारहसिंघा के चित्र के प्रमाण मिले है | इस काल में मानव अपनी सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के औजार बनता है | औजारों के अधर पर इसे तीन भागो में बाटा गया है

1.        पूर्व पूरापाषाण काल

2.       मध्य पूरापाषाण काल

3.       उच्च पूरापाषाण काल

 

 1)पूर्व पूरापाषाण काल:-

 इस काल में मानव क्वाटर जाईट पत्थर का प्रयोग करके निम्नलिखित औजार बनता है -

हैण्ड एक्स - कुल्हाड़ी

चापर       - गडासा

चापिंग  - दोनों तरफ धार बना दिया गया हो

क्लीवर या बेदरनी  - दोनों तरफ घिस कर नुकीले कर दिया गया

 

 

भीमबेटका (मध्यप्रदेश ):-

यह नर्मदा नदी के हथनौर क्षेत्र में A . K . सोनकिया ने मानव खोपड़ी के साक्ष प्राप्त किया यह भारत का जीवाश्म का प्राचीनतम प्रमाण है | भीमबेटका से 600 गुफाओ का प्रमाण मिलाता है यह गुफाओ का प्राचीनतम प्रमाण है |

 

 

2)मध्य पूरापाषाण काल :-

इस काल में मानव उससे अच्छे किस्म के पत्थरो प्रयोग करने लगे जैसे - जैसपर और चार्ट का प्रयोग करके फलके या फलक से निर्मित औजार बनाया इसी काल में ब्लेड के औजार की सुरुआत हुआ , इस काल के प्रमुख उपकरण थे  -  बेधनी, खुरचनी, छेदनी , तक्षणी इस काल में औजार थे |

नोट :-मानव उसी स्थान पर रह रहा था , जहा  वह पूर्व पूरापाषाण काल में रहता था|

 

3)उच्च  पूरापाषाण काल:-

इस काल में मानव की प्रमुख विशेषता मानव 'होमो सेपियंस' और इस काल में मानव हड्डी के बने औजार की सुरुआत हुई |मिर्जा पुर में स्थित बेल्लम घाटी से मत्री देवी की प्रतिमा लोहदा नाला  क्षेत्र से प्राप्त हुआ | इस काल में मानव चार्ट पत्थर का प्रयोग करके ब्लेड को और बड़ी संख्या में बनाया |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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