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Virtual Reality: The new Dimension of the Digital world

Virtual Reality: What? new dimension of the digital world Virtual Reality is an amazing technology that has changed the digital world. It is a technology that takes users into a virtual world and makes them feel the real world.Where they are able to experience something completely different from reality. Whether it is gaming, education, medicine or business, virtual reality has made its presence felt in every field. In this article , we will discuss about the different ways of virtual reality.[photo] What is Virtual Reality? VR is a computer-generated technology that allows users to experience a virtual world. It transports users into a world they can see, hear, and feel , But that world does not exist in reality. To experience it, VR headsets, special gloves and sensors are used. The main purpose of this technology is to give the user an experience as if they are a part of the virtual world there. For example, a pilot can practice flying an airplane using a virtual flight simulator,...

सीएए पर अमल (CAA)

 सीएए पर अमल



इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए कब अमल में आएगा, क्योंकि जनवरी 2020 में राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ यह कानून अस्तित्व में आ गया था। चार वर्ष की देरी के बाद यह प्रतीक्षा पूरी होने जा रही है. क्योंकि गत दिवस केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि आगामी लोकसभा चुनाव के पहले इस कानून के नियम अधिसूचित कर दिए जाएंगे। अच्छा होता कि यह काम और पहले कर दिया जांता, क्योंकि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के जो अल्पसंख्यक जान बचाकर भारत आने में सफल रहे, वे यहां की नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे हैं। उनकी संख्या अच्छी-खासी है। वे अल्पसंख्यक होने के कारण ही इन तीनों देशों में प्रताड़ित किए गए। उनके पास प्रताड़ना से बचने के लिए भारत आने के अलावा और कोई उपाय नहीं था। 2019 में नागरिकता कानून में जैसे संशोधन किए गए, वैसे संशोधन करने की मांग एक समय कांग्रेस एवं कुछ और दलों के नेताओं ने भी की थी, लेकिन जब वांछित संशोधन कर दिए गए तो विपक्षी दलों ने आसमान सिर पर उठा लिया। इन दलों ने लोगों और विशेष रूप से मुसलमानों को बरगलाने एवं उकसाने में कोई कसर नहीं उठा रखी। इसका परिणाम यह हुआ कि नागरिकता संशोधन कानून के बेजा विरोध में देश में जगह-जगह उपद्रव किया गया। यह उपद्रव इसके बाद भी किया गया कि नागरिकता संशोधन कानून का देश के किसी नागरिक से कोई लेना-देना नहीं। यह तो नागरिकता देने का कानून है, न कि छीनने का। इसके बाद भी यह शरारत भरा दुष्प्रचार किया गया कि यह कानून लागू हुआ तो मुसलमानों को देश की नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा। इस खतरनाक दुष्प्रचार में विरोधी दलों के नेताओं के साथ मोदी सरकार के अंध विरोधी बुद्धिजीवी भी शामिल थे।


अब जब केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन कानून के नियम तय करके उन्हें अधिसूचित करने जा रहा है तो फिर उसे लोगों को भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले तत्वों से सावधान रहना होगा। ये तत्व फिर से मुस्लिम समाज को बरगलाकर उसे सड़क पर उतारने का काम कर सकते हैं। ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, क्योंकि वे एक तरह से मानवता के शत्रु ही हैं। इसी के साथ यह भी आवश्यक है कि नागरिकता संशोधन कानून के नियम ऐसे बनाए जाएं, जिनसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से दिसंबर 2014 के बाद भी भारत आए लोगों को राहत मिल सके। इस कट आफ डेट में बदलाव की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि बीते एक दशक में जहां अफगानिस्तान हिंदुओं एवं सिखों से करीब-करीब खाली हो चुका है, वहीं बांग्लादेश एवं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना का सिलसिला और तेज हुआ है। वास्तव में इन दोनों देशों में अल्पसंख्यकों का कोई भविष्य नहीं। उन्हें या तो न चाहते हुए भी मतांतरित होना होगा अथवा वहां से भागना होगा या फिर मरना होगा।